Skip to main content

26 जनवरी 1950 गणतंत्र दिवस के मायने !!


26 जनवरी 1950 गणतंत्र दिवस के मायने !!

15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की गुलामी से देश स्वतंत्र हुआ, मतलब एक शासक से दूसरे शासक के हाथों में सत्ता का हस्तांतरण हो गया। हजारों सालों से भारतवासी इस तरह न जाने कितने शासकों के हाथों में सत्ता परिवर्तन देखते आ रहे थे, लेकिन पहली बार, यह अंग्रेजों की दरिया दिली कहिए या उनके शासनकाल की कुछ खास खूबियां, जिसके कारण देश को राजशी शासनकाल से छुटकारा मिला और देश लोकतंत्र या गणतंत्र की ओर अग्रसर होने को मजबूर हुआ।

  जिसके लिए लंबे समय तक देश की संभुता और अखंडता बनाए रखने के लिए एक नियम, विधान या कानून की नितांत जरूरत होती है, जो, सभी विभिन्न जाति, संप्रदाय और धर्म के मानने वालों के लिए स्वीकार्य हो।

    यह सुनहरा मौका, संविधान विशेषज्ञ कमेटी तथा विशेष रूप से बाबा साहब अम्बेडकर के अथक प्रयास से 26 जनवरी 1950 को मिला। हम सभी भारतीय इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में हर साल हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं और सभी को इसके महत्व को देखते हुए मनाना भी चाहिए।

    स्वाभाविक भी है कि, कोई भी अचानक बना समता समानता और बंधुत्व आधारित संविधान, नियम या कानून सभी लोगों के लिए अच्छा नहीं हो सकता है। इसलिए कुछ लोगों के लिए नागवार गुजरता है। अपने अनुभव से महसूस भी कर रहा हूं कि, इस गणतंत्र दिवस के महत्व को धीरे-धीरे महत्वहीन किया जा रहा है।

 हमें याद आ रहा है, हमारे बचपन यानी 1960-65 के आसपास स्कूल में दिन भर खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ करते थे। इसके लिए 15 दिन पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाया करती थी। हम स्कूल के सभी बच्चे अध्यापकों के साथ तिरंगा लेकर गांव में नारा लगाते हुए भ्रमण करते थे। अब मैं देख रहा हूं, आफिस हो या कोई भी सामाजिक संस्था, सभी जगहों पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। झंडा वादन और जन-मन-गण, गीत गाने की सिर्फ फार्मिलिटी पूरी की जाती है।

 गणतंत्र दिवस के अवसर पर झंडा और गीत के अलावा जो सबसे महत्वपूर्ण है, वह है संविधान! और उसकी उद्देशिका, जिस पर खुलकर उसके उद्देश्यों और उससे होने वाले सामाजिक-आर्थिक बदलाव पर परिचर्चा होनी चाहिए। अफसोस नहीं होती है।

    संविधान के सभी अनुच्छेद के महत्व को समझना यहां आज नामुमकिन है, लेकिन सिर्फ एक दो अनुच्छेद जो सामाजिक परिवर्तन के लिए कुछ लोगों के लिए सुखदाई है तों दूसरों के लिए दुखदाई है, जिसका जिक्र करना उचित समझता हूं।*

    आर्टिकल-13, का कहना है कि

       1) संविधान लागू होते ही, 26 जनवरी 1950 से ही, किसी भी धार्मिक मान्यताओं या परम्पराओं को,जो, जाति-पाति की ऊंच-नीच, छुआ-छूत के भेदभाव की भावना से,जो सदियों से चला आ रहा ध्वस्त किया जाता है। इस कानून के अनुसार यदि ब्राह्मण अपने को उच्च समझते हुए शादी करवाता है तो कानूनन अपराध है। विडम्बना देखिए, शादी कोई भी कराए, लेकिन जब तलाक की बात आती है तो सभी को कानून की शरण में ही जाना पड़ता है।

   2)- अनुच्छेद 51-AH, कहता है कि, सभी नागरिकों को, यहां तक कि केन्द्र व राज्य सरकारों को, देश के सभी नागरिकों के दिलो-दिमाग में वैज्ञानिक सोच की प्रवृत्ति पैदा करने की कोशिश करते रहना चाहिए।

 इसका मतलब ढोंग,पाखंड,अंधविश्वास,भगवान या देवी-देवताओं से मनौती,जादू-टोना, टोटका, भूत-प्रेत, भभूत, मंत्र, चमत्कार, ज्योतिषी आदि ऐसे सभी परम्पराओं और मान्यताओं को ध्वस्त करना।

     परिणाम तो बहुत है,लेकिन कुछ परिणाम साफ साफ दिखाई देते हैं-जैसे

      1) देवी-देवताओं, भगवानों, बाबाओं की पैदाइश या अवतार पूरी तरह ठप्प हो गई है, यदि कोई धोखे से पैदा होने की कोशिश करता है तो, उसे देर-सबेर सलाखों में कैद होना पड़ता है।

    2)- संविधान लागू होने से पहले, सभी जातियों या धर्मों के नाम पर छोटी बड़ी बस्तियां बसती थी। आज सभी के लिए, कम्प्लेक्स, नगर, शहर या हाउसिंग सोसाइटी बसती है।

    इसलिए सभी साथियों को गणतंत्र दिवस के अवसर पर संविधान के महत्व का प्रचार प्रसार करना चाहिए।

   इस पावन पर्व, गणतंत्र दिवस पर सभी साथियों को तहे दिल से हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं!*


Comments

Popular posts from this blog

पहले सेक्स की कहानी, महिलाओं की जुबानी.

क्या मर्द और क्या औरत, सभी की उत्सुकता इस बात को लेकर होती है कि पहली बार सेक्स कैसे हुआ और इसकी अनुभूति कैसी रही। ...हालांकि इस मामले में महिलाओं को लेकर उत्सुकता ज्यादा होती है क्योंकि उनके साथ 'कौमार्य' जैसी विशेषता जुड़ी होती है। दक्षिण एशिया के देशों में तो इसे बहुत अहमियत दी जाती है। इस मामले में पश्चिम के देश बहुत उदार हैं। वहां न सिर्फ पुरुष बल्कि महिलाओं के लिए भी कौमार्य अधिक मायने नहीं रखता।                                                        महिला ने कहा- मैं चाहती थी कि एक बार यह भी करके देख लिया जाए और जब तक मैंने सेक्स नहीं किया था तब तो सब कुछ ठीक था। पहली बार सेक्स करते समय मैं बस इतना ही सोच सकी- 'हे भगवान, कितनी खु‍शकिस्मती की बात है कि मुझे फिर कभी ऐसा नहीं करना पड़ेगा।' उनका यह भी कहना था कि इसमें कोई भी तकलीफ नहीं हुई, लेकिन इसमें कुछ अच्छा भी नहीं था। पहली बार कुछ ठीक नहीं लगा, लेकिन वर्जीनिया की एक महिला का कहन...

Torrent Power Thane Diva Helpline & Customer Care 24x7 No : 02522677099 / 02522286099 !!

Torrent Power Thane Diva Helpline & Customer Care 24x7 No : 02522677099 / 02522286099 बिजली के समस्या के लिये आप Customer Care 24x7 No : 02522677099 / 02522286099 पर अपनी बिजली से सबंधित शिकायत कर सकते है। या Torrent Power ऑफिस जाकर भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते है। या उनके ईमेल id पर भी शिकायत कर सकते हो। To,                            Ass.Manager Torrent Power Ltd चद्ररगन रेसिटेंसी,नियर कल्पतरु जेवर्ल्स,शॉप नंबर-234, दिवा ईस्ट । consumerforum@torrentpower.com connect.ahd@torrentpower.com

Veer Sawarkar BMC Hospital Time Table !! वीर सावरकर सरकारी मुलुंड हॉस्पिटल डॉक्टर का टाइम टेबल !!

       !! Swatantrya veer V.D.Sawarkar !! !! BMC Hospital Veer Savarkar Hospital !! Mahatma Phule Road Hanuman Chowk, Mulund East, Hanuman Chowk, Mulund West, Mumbai, Maharashtra 400081 Open now:    Open 24 hours mcgm.gov.in 022 2163 6225