फूल जैसी कोमल नारी कांटो जितनी कठोर नारी।
अपनों की हिफासत मे सबसे अव्वल नारी।
दुखों को दूर कर, खूशियो को समेठे नारी।
फिर लोग क्यो कहते तेरा अत्सित्व क्या नारी।
जब अपने छोटे छोटे व्खाइशो को जीने लगती नारी।
दुनिया दिखाती है उसे उसकी दायरे सारी।
अपने धरम मे बन्धी नारी, अपने करम मे बन्धी नारी।
अपनो की खूशी के लिये खुद के सपने करती कुरबान नारी।
जब भी सब्र का बाण टूटे तो सब पर भारी नारी।
फूल जैसी कोमल नारी, कांटो जितनी कठोर नारी।
MUMBAI CRIME PAGE
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