सीआरपीसी 167 के तहत रिमांड शक्ति का इस्तेमाल मजिस्ट्रेट से वरिष्ठ अदालतें भी कर सकती हैं : सुप्रीम कोर्ट" !!
Crpc Act 167 के तहत रिमांड शक्ति का इस्तेमाल मजिस्ट्रेट से वरिष्ठ अदालतें भी कर सकती हैं : सुप्रीम कोर्ट" !!
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 167 के तहत शक्ति का प्रयोग उन न्यायालयों द्वारा भी किया जा सकता है जो मजिस्ट्रेट से वरिष्ठ हैं, सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले में जेल में बंद एक्टिविस्ट गौतम नवलखा द्वारा दायर अपील को खारिज करने के फैसले में ये कहा।
न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने फैसले में इस प्रकार कहा :
हालांकि मजिस्ट्रेट के पास उच्च न्यायालयों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले उचित क्षेत्राधिकार के माध्यम से रिमांड का आदेश देने की शक्ति निहित है, (इसमें वास्तव में सत्र न्यायालय शामिल होगा) धारा 439 के तहत कार्य करते हुए धारा 167 के तहत शक्ति का प्रयोग उन न्यायालयों द्वारा भी किया जा सकता है जो मजिस्ट्रेट से वरिष्ठ हैं।
अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालयों द्वारा आदेशित ऐसी हिरासत उस अवधि की गणना के उद्देश्य से हिरासत होगी जिसके भीतर आरोप पत्र दायर किया जाना चाहिए, असफल होने पर आरोपी को डिफ़ॉल्ट जमानत का वैधानिक अधिकार प्राप्त हो जाता है।
इस मामले में दिए गए तर्कों में से एक यह था कि दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश सीआरपीसी की धारा 167 के तहत पारित आदेश नहीं है,जबकि सीआरपीसी चिंतन करती है कि ये एक मजिस्ट्रेट द्वारा पारित एक आदेश है।
इसलिए कोर्ट ने इस मुद्दे पर विचार किया कि क्या मजिस्ट्रेट के अलावा कोई अन्य कोर्ट सीआरपीसी की धारा 167 के तहत रिमांड का आदेश दे सकती है।
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