शादी के दौरान पैदा हुए बच्चे की वैधता स्थापित करने के लिए डीएनए परीक्षण का आदेश नहीं दिया जा सकता है !! SC !!
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यभिचार के आरोप को साबित करने के लिए कुछ प्राथमिक सबूत होने चाहिए और उसके बाद ही अदालत डीएनए परीक्षण के वैज्ञानिक साक्ष्य पर विचार कर सकती है.
न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने निचली अदालत और बंबई हाई कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी के साथ वैवाहिक विवाद में अपने बच्चे के डीएनए परीक्षण का आदेश देने की याचिका की अनुमति दी थी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर एडल्ट्री (व्याभिचार) का कोई प्राथमिक सबूत नहीं है तो शादी के दौरान पैदा हुए बच्चे की वैधता स्थापित करने के लिए डीएनए परीक्षण का आदेश नहीं दिया जा सकता है.
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