नया सब तरफ है, रोज है, प्रतिदिन है। नए का सम्मान करिए, पुराने की अपेक्षा मत करिए। हम अपेक्षा करते हैं पुराने की, हम चाहते हैं कि जो कल हुआ वह आज भी हो। तो फिर आज पुराना हो जाएगा। जो कभी नहीं हुआ वह आज हो, इसके लिए हमारा खुला मन होना चाहिए कि जो कभी नहीं हुआ वह आज हो। हो सकता है वह दुख में ले जाए।
हर वर्ष दिन तिथि त्यौहार आते हैं और गुजर जाते हैं। कलेंडर समय के इस कालचक्र में नए से पुराने हो जाते हैं। पतझड़ का एक मौसम कहीं न कहीं फिक्स है और इसी तरह अन्य मौसम भी इन मौसमों के बदलाव में जब वर्ष बदलता है तो हम अपने जीवन भोग को समय के कलेंडर से बांधकर अगले समय में जीवन की परिक्रमा के पलों की कल्पना करते हैं।
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