कतर के पेट में कुछ और दर्द है नूपुर शर्मा तो एक बहाना है !!
दरअसल भारत और कतर के बीच में 10 साल के लिए गैस का रेट कॉन्ट्रैक्ट साइन हो जाता है यानी 10 साल तक रेट फिक्स हो जाता है और आने वाले 10 साल तक कतर को उसी रेट पर गैस अप्लाई करना होता है ।
गुजरात सरकार ने कतर के साथ मिलकर दहेज में एक बहुत बड़ा टर्मिनल बना रखा है जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गैस टर्मिनल है ।
लेकिन युद्ध के माहौल में कतर ने दोगलापन दिखाते हुए कॉन्ट्रैक्ट होते हुए भी उस रेट पर गैस सप्लाई करने से मना कर दिया और भारत सरकार से कहा कि क्योंकि रूस का गैस यूरोप नहीं जा रहा है यूरोप में भयंकर डिमांड है कीमतें 3 गुना बढ़ गई हैं इसलिए आपको कीमत ज्यादा देना पड़ेगा ।
कतर को लग रहा था कि भारत दब जाएगा लेकिन भारत में रूस से गैस लेना शुरू कर दिया और कतर को कह दिया कि यदि आपको कांटेक्ट रेट पर सप्लाई करना हो तो करिए नहीं तो कोई जरूरत नहीं है अर्थशास्त्र में एक नियम होता है खरीदने वाले से ज्यादा गर्ज बेचने वाले का होता है भारत के इस कदम से कतर तिलमिला गया और वही नूपुर शर्मा के केस में उसने अपनी नीचता दिखा दिया।
दरअसल भारत के मुस्लिम और खाड़ी के देश इन दोनों की यही सोच है कि भारत यदि इन अरबी गधों का गैस और तेल नहीं खरीदेगा तो बर्बाद हो जाएगा जबकि इन दोनों को पता होना चाहिए कि जितना पूरे अरब देश के पास गैस और तेल है उतना अकेले वेनेजुएला के पास है और जितना वेनेज़ुएला के पास है उसका 10 गुना अकेले रूस के पास है।
और मूर्खों एक बार जरा सऊदी अरब कतर जैसे देशों का भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार उठाकर देख लो भारत उनसे जितना आयात करता है उससे दोगुना यह देश भारत से दूसरे सामान खरीदते हैं।
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