दुःख क्यों होता है ?
दुःख पैदा होता है क्योंकि हम बदलाव को होने नहीं देते।
हम पकड़ते हैं, हम चाहते हैं कि चीजें स्थिर हों।
यदि तुम स्त्री को प्रेम करते हो तो तुम उसे आने वाले कल भी
चाहते हो, वैसी ही जैसी कि वह तुम्हारे लिए आज है।
इस तरह से दुख पैदा होता है।
कोई भी आने वाले क्षण के लिए सुनिश्चित नहीं हो सकता--आने वाले कल कि
तो बात ही क्या करें?
होश से भरा व्यक्ति जानता है कि जीवन सतत बदल
रहा है।
जीवन बदलाहट है। यहां एक ही चीज स्थायी
है, और वह है बदलाव। बदलाव के अलावा हर चीज
बदलती है।
जीवन की इस प्रकृति को स्वीकारना, इस
बदलते अस्तित्व को उसके सभी मौसम और मूड के साथ
स्वीकारना, यह सतत प्रवाह जो एक क्षण के लिए भी
नहीं रुकता,आनंदपूर्ण है।
तब कोई भी तुम्हारे आनंद को
विचलित नहीं कर सकता। स्थाई हो जाने की
तुम्हारी चाह तुम्हारे लिए तकलीफ पैदा करती है।
यदि तुम ऐसा जीवन जीना चाहते हो जिसमें कोई
बदलाव न हो। तुम असंभव बात करना चाहते हो।
होश से भरा व्यक्ति इतना साहसी होता है कि इस
बदलती घटना को स्वीकार लेता है।
उस स्वीकार में आनंद है। तब सब कुछ शुभ है। तब तुम कभी भी विषाद से नहीं भरते।
ओशो
Comments