फिक्र इतनी करो कि तुम कहां हो ?
तुम क्या हो ?
तुम कौन हो ?
लोगों से लेना-देना भी क्या है !
आज तुम हो, कल नहीं रहोगे,दुनिया तो चलती रही है, चलती रहेगी।
कल तुम नहीं थे तब भी दुनिया चलती थी ,
कल तुम नहीं होगे तो भी दुनिया चलती रहेगी ।
फिर लोगों को बदलना होता, लोगों को अच्छा बनाना होता ,
ऐसा कोई दायित्व तुम्हारे ऊपर किसी ने सौंपा होता तो भी कोई बात थी कि तुम चिंता करो, कौन अच्छा ,कौन बुरा !
तुम्हें लेना-देना क्या है !
एक दूसरे में बुराइयां देख रहे हैं सब ।
क्या तुम्हें पड़ी है ?
अपनी सवारों !
थोड़े दिन है, थोड़ा समय है,अपने को निखारो.
🙏 ओशो 🙏
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