What is the duty of the Protection Officers in the section of Protection of Women Against Domestic Violence Act, 2005.
घरेलू हिंसा के विरुद्ध महिला संरक्षण अधिनियम की धारा, 2005” घरेलू हिंसा को पारिभाषित किया गया है.
घरेलू हिंसा के विरुद्ध महिला संरक्षण अधिनियम की धारा, 2005 में सुरक्षा अधिकारी क्या ड्यूटी होती है.
सुरक्षा अधिकारी (धारा 9)
घरेलू हिंसा अधिनियम में सुरक्षा अधिकारी अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं। ये सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के साथ काम करते हैं। ये योग्य होते हैं और इनके पास सामाजिक क्षेत्र में काम करने का कम से कम तीन सालों का अनुभव होता है। राज्य सरकार ऐसे अधिकारियों को जो ज्यादातर महिलाएं होती हैं, हर जिले में न्यनतम तीन सालों के लिए तैनात करता है और उनके काम का संज्ञान लिया जाता है।
सुरक्षा अधिकारी का काम पीड़िता की हर कदम पर मदद करना है। वे पीड़िता की घरेलू हिंसा की रिपोर्ट को तयशुदा ढांचे में दर्ज करवाने में मदद करते हैं। वे पीड़ित को उनके अधिकारों की जानकारी देते हैं और इस अधिनियम के तहत सहायता को उपलब्ध करवाने के लिए पीड़िता को आवेदन लिखने में सहायता करते हैं। ये अधिकारी घरेलू हिंसा के मामले के निबटारे में मजिस्ट्रेट की भी सहायता करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किये गए आदेशों का अनुपालन पीड़िता के हित में हो।
स्थिति का जायजा लेने के और घरेलू हिंसा नियम, 2005 के फॉर्म V के अनुसार सुरक्षा योजना बनाने के लिए भी सुरक्षा अधिकारियों की आवश्यकता होती है। यह सब घरेलू हिंसा की आवृत्ति को रोकने के लिए उचित उपाय की सलाह देने और उन पर अमल करने के उद्देश्य से किया जाता है।
सुरक्षा अधिकारी पीड़िता को हर मुमकिन सहायता देने के लिए बाध्य हैं जिसमें उसके चिकित्सकीय परीक्षण से लेकर, उसके आवागमन और आश्रय स्थल में आवास की व्यवस्था करना शामिल है बशर्ते कि वह अपने घर पर सुरक्षित न हो। सबसे पहले सुरक्षा अधिकारी को कानूनी सहायता सेवाओं, परामर्श, चिकित्सा सहायता, या जरूरतमंद पीड़ित के आश्रय के लिए अपने क्षेत्राधिकार में शामिल सभी सेवा प्रदाताओं की सूची तैयार करनी होती है.
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