#शादी हो जाने के बाद शादी का झूठा वादा करके बलात्कार का मामला नहीं बनता: सुप्रीम कोर्ट !!
👉 सुप्रीम कोर्ट ने (03 जनवरी को) शादी के बहाने 25 वर्षीय महिला से बलात्कार करने के आरोपी-अपीलकर्ता के खिलाफ आपराधिक मामला रद्द करते हुए कहा कि सहमति से संबंध बनाया गया था, जो शादी में परिणत हुआ। इस प्रकार, अदालत को इस आरोप का कोई आधार नहीं मिला कि शारीरिक संबंध शादी के झूठे वादे के कारण था, क्योंकि अंततः, शादी संपन्न हुई थी।
👉 जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने कहा, "इसलिए प्रथम दृष्टया, यह आरोप कि अपीलकर्ता द्वारा शादी के लिए दिए गए झूठे वादे के कारण शारीरिक संबंध बनाए, निराधार है, क्योंकि उनके रिश्ते के कारण विवाह संपन्न हुआ था।
👉 डिवीजन बेंच ने यह भी कहा कि इस मामले में आरोप ऐसे हैं कि 'कोई भी विवेकशील व्यक्ति' कभी भी यह निष्कर्ष नहीं निकाल सकता कि अपीलकर्ता के खिलाफ आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त आधार मौजूद है। कोर्ट ने कहा, “इसलिए यह ऐसा मामला है, जहां एफआईआर में लगाए गए आरोप ऐसे हैं कि बयानों के आधार पर कोई भी विवेकशील व्यक्ति कभी भी इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकता है कि अपीलकर्ता के खिलाफ आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त आधार है।
👉 क्या है पूरा मामला
👉 पीड़िता के पिता (तीसरे प्रतिवादी) द्वारा दायर शिकायत पर आधारित है। उन्होंने आरोप लगाया कि अपीलकर्ता दिल्ली में आईआईटी कोचिंग क्लासेस चला रहा है। उनकी बेटी और अपीलकर्ता मिले और एक-दूसरे से प्रेम करने लगे। अपीलकर्ता ने पीड़िता को उससे शादी करने का आश्वासन दिया। इसके बाद अपीलकर्ता ने आर्य समाज मंदिर से विवाह का प्रमाण पत्र तैयार कराया।
👉 उन्होंने आरोप लगाया कि धोखाधड़ी करके अपीलकर्ता ने पीड़िता के साथ शारीरिक संबंध बनाए रखा। नतीजतन, अपीलकर्ता ने पीड़िता को उसके पिता के आवास पर छोड़ दिया। इसके चलते अपीलकर्ता के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई। चूंकि हाईकोर्ट ने एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया, अपीलकर्ता ने इस वर्तमान अपील को प्राथमिकता दी।
👉 सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपीलकर्ता के वकील ने पीड़ित के वकील द्वारा जारी नोटिस अदालत के ध्यान में लाया। नोटिस में पीड़िता ने स्वीकार किया कि उसके और अपीलकर्ता के बीच विवाह हुआ था। इसके विपरीत, प्रतिवादी ने आक्षेपित निर्णय का समर्थन किया।
👉 अदालत ने कहा कि नोटिस के अनुसार, पीड़िता को अपीलकर्ता की पत्नी बताया गया। इसके अलावा, नोटिस में यह भी स्वीकार किया गया कि अपीलकर्ता और पीड़िता के बीच विवाह संपन्न हुआ था। प्रासंगिक रूप से, नोटिस में यह भी आरोप लगाया गया कि अपीलकर्ता ने पीड़ित को वैवाहिक घर से इस आधार पर भगा दिया कि उसके पिता 50 लाख रुपये की राशि चाहते हैं।
👉 इस प्रकार, उक्त नोटिस द्वारा पीड़िता ने अपीलकर्ता से "तलाक" की व्यवस्था करने का आह्वान किया।
अदालत ने पुलिस अधिकारी के समक्ष दिए गए पीड़िता के बयान पर भी गौर किया। उसमें, उसने कहा कि अपीलकर्ता उसे आर्य समाज मंदिर में ले गया और शादी कर ली।
👉 इन तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने माना कि अपीलकर्ता और पीड़िता के बीच का संबंध सहमति से बना संबंध था, जो विवाह में परिणत हुआ। इस प्रकार, अदालत ने अपीलकर्ता की अपील स्वीकार कर ली और एफआईआर रद्द कर दी।
👉 केस टाइटल :- अजीत सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, डायरी नंबर- 42857 - 2016
Comments