वकील भी कज्यूमर एक्ट के दायरे में आता हैं !! सुप्रीम कोर्ट !!
यह माना गया कि वकील किसी मामले के अनुकूल परिणाम के लिए ज़िम्मेदार नहीं हो सकता, क्योंकि परिणाम केवल वकील के काम पर निर्भर नहीं करता है।
हालांकि,यदि वादा की गई सेवाएं प्रदान करने में कोई कमी थी, जिसके लिए उसे शुल्क के रूप में प्रतिफल मिलता है तो वकीलों के खिलाफ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
कानूनी पेशे को बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा एडवोकेट एक्ट, 1961 के तहत स्थापित नियमों के माध्यम से विनियमित किया जाता है।
इसके अलावा, एडवोकेट एक्ट की धारा 35 और 36 के अनुसार, वकील के खिलाफ शिकायतें की जानी हैं।
2007 में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग द्वारा दिए गए फैसले से उभरा।
आयोग ने फैसला सुनाया कि वकीलों द्वारा प्रदान की गई सेवाएं उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2 (ओ) के तहत आती हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि उक्त प्रावधान सेवा को परिभाषित करता है।
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