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मेहबूब मेरे, मेहबूब मेरे तू है तो दुनिया कितनी हसीं है जो तू नहीं तो, कुछ भी नहीं है.
तुम हो तो बढ़ जाती है क़ीमत मौसम की ये जो तेरी आँखे हैं शोला शबनम सी यहीं मरना भी है मुझको, मुझे जीना भी यहीं है.
अरमां किसको जन्नत की रंगीन गलियों का मुझको तेरा दामन है बिस्तर कलियों का जहाँपर हैं.
तेरी बाहें, मेरी जन्नत भी वहीं है रख दे मुझको तू अपना दीवाना कर के नज़दीक आ जा फिर देखूँ तुझको जी भर के मेरे जैसे होंगे लाखों, कोई भी तुझसा नहीं है.
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