आप जैसे ही प्रेम के क्षणों को याद करेंगे। उसी क्षण वह प्रेम ऊर्जा आपमें प्रविष्ट हो जाएगी। फिर चाहकर भी क्रोध न कर सकेंगे !! ओशो !!
आप जैसे ही प्रेम के क्षणों को याद करेंगे। उसी क्षण वह प्रेम ऊर्जा आपमें प्रविष्ट हो जाएगी। फिर चाहकर भी क्रोध न कर सकेंगे। क्रोध की ऊर्जा को प्रेम से बदल दें! आप गुस्से में हैं ! अचानक क्रोध हावी हो गया हो ! किसी को नुकसान पहुँचाना चाहते हों, कष्ट देना चाहते हों, मारना चाहते हों, कोई चीज नष्ट करना चाहते हो या कोई हिंसा ही करना चाहते हों! ऐसे में बस एक क्षण के लिए खुद को रोक लीजिए। एक छोटा सा प्रयोग कीजिए। तत्काल, किसी प्यारी घटना को, मित्र को, अपनी पत्नी को, प्रेमी या पति को या अपने बच्चे को, या कोई जानवर ही क्यों न हो जिसे आपने प्रेम किया है उसे बस एक क्षण के लिए याद कीजिए। अब उस क्षण में उसी प्रेम के साथ बह जाइए। शुरू में आपको लग सकता है। यह तो अभिनय जैसा कुछ है। लेकिन, आपका मन यह नहीं समझता है। वह रियलिटी और कल्पनाओं में अंतर नहीं कर सकता। यही वजह है आप उसी क्षण गहरे प्रेम में उतर सकते हैं। आपके ऐसा करते ही आपके एक अंदर ऊर्जा जाग गई है, वह इस बिंदु पर पहुँच गई है जहाँ उसे अभिव्यक्ति चाहिए, बाहर निकलने का मार्ग चाहिए। आप जैसे ही प्रेम के क्षणों को याद करेंगे। उ...