जब कोई छल और दगाबाजी करता है, या जब कोई मुझे वस्तु की तरह उपयोग करता है,ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए ?
👉 प्रश्न: भगवान, जब कोई छल और दगाबाजी करता है, या जब कोई मुझे वस्तु की तरह उपयोग करता है,ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए ? मैं उस व्यक्ति को चोट भी नहीं पहुंचाना चाहती। मन की शांति कैसे मिले? मैं टूट-फूट गई हूं। ओशो : जीवन की उलझनों में दूसरे कभी भी उत्तरदायी नहीं होते। सारा उत्तरदायित्व अपना होता है। जैसे तुम कहा कि जब कोई मुझसे छल और दगा करता है तो मेरे दिल को चोट पहुंचती है। थोड़ा सोचो, दिल को चोट किसी के छल और दगा करने से नहीं होती। तुमने चाहा था कि कोई छल और दगा न करे इसलिए चोट होती है। यह तुम्हारी चाह का फल है।और सारी दुनिया तुम्हारी चाह को मानकर चले, यह तुम्हारे हाथ में नहीं। यह किसी के भी हाथ में नहीं। लेकिन हम यूं ही सोचने के आदी हो गए हैं कि हर चीज का दायित्व दूसरे पर थोप दें। इससे आसानी होती है, राहत मिलती है। राहत मिलती है कि मैं जिम्मेवार नहीं हूं। अब कोई छल कर रहा है इसलिए कष्ट हो रहा है। लेकिन तुमने चाहा ही क्यों कि कोई छल न करे ? और यह हमारे हाथ में कहा है कि हम ऐसी दुनिया बना लें जिसमें छल और कपट न हो ? छल भी होगा, कपट भी होगा। हम इतना जरूर कर सकते...