जीवन का जीने की कला का दूसरा सूत्र हैः प्रामाणिकता। एक ही तुम्हारा व्यक्तित्व होना चाहिए, दोहरा नहीं ! osho !
My Photography जीवन का जीने की कला का दूसरा सूत्र हैः प्रामाणिकता। एक ही तुम्हारा व्यक्तित्व होना चाहिए, दोहरा नहीं। पहला सूत्र हैः निजता। अपने ढंग से जीओ, अपने रंग से जीओ, अपनी मौज से जीओ। मैं उसको संन्यास कह रहा हूं। और दूसरा सूत्र हैः प्रामाणिकता। और तीसरा सूत्र हैः भूल कर भी कहीं इस खयाल को मत टिकने देना कि तुम्हारे जीवन में कुछ है जो गलत है। अगर कुछ गलत लग भी रहा हो तो जानना कि इसी के भीतर कहीं सही छिपा हुआ है। यह गलत, सही को अपने में छिपाए हुए है। जैसे बीज की सख्त खोल के भीतर कितने फूल छिपे हैं! करोड़ों फूल छिपे हैं। बीज की सख्त खोल पर ही मत अटक जाना। फूल अभी दिखाई भी नहीं पड़ते। बोओगे जमीन में, पौधा बड़ा होगा, वृक्ष बनेगा, हजारों पक्षी निवास करेंगे, सैकड़ों लोग उसकी छाया में बैठ सकेंगे--तब फूल से भरेगा आकाश। वैज्ञानिक कहते हैं कि एक बीज की इतनी क्षमता है कि सारी पृथ्वी को हरा कर दे, क्योंकि एक बीज से फिर करोड़ों बीज होते हैं। फिर एक-एक बीज से करोड़ों-करोड़ हो जाते हैं। होते-होते सारी पृ...