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जो कारागृहों में रहने के आदी हो गए हैं, उन्हें मुक्त करना आसान नहीं !! Osho !!

भीड़ उन्हीं बातों के लिए मुझे गालियां दे रही है, जिन बातों के लिए उसे मुझे धन्यवाद देना चाहिए। मगर, उनकी तकलीफ भी मेरी समझ में आती है। उनकी मान्यताओं के विपरीत हैं वे बातें। और उनकी मान्यताएं टूटें, तो ही उनके जीवन में थोड़ा प्रकाश आए। मैं भी मजबूर हूं। मैं उनकी मान्यता तोड़ने में लगा ही रहूंगा। वे गालियां देते रहें, मैं उनकी जंजीरें काटता रहूंगा। और निश्चित ही, जिसके पैरों में जंजीरें बहुत दिन तक रही हों, तुम उसकी अचानक जंजीर काटने लगो, वह नाराज होगा! मैंने सुना है, एक पहाड़ी सराय में एक कवि मेहमान हुआ। उस सराय में द्वार पर ही लटका एक तोता था। उस तोते की एक ही रटंत थी: स्वतंत्रता! स्वतंत्रता! स्वतंत्रता! उस सराय का मालिक स्वतंत्रता के आंदोलन में सिपाही रह चुका था और उसने अपने तोते को भी स्वतंत्रता का पाठ सिखा दिया था। उस सराय का मालिक स्वतंत्रता के आंदोलन में जेलघरों में रहा था, कारागृहों में रहा था। कारागृह में उसके भीतर एक ही आवाज उठती थी प्राणों में: स्वतंत्रता! स्वतंत्रता! स्वतंत्रता! उसने अपने तोते को भी यह सिखा दिया था। यह बड़े मजे की बात है। हालांकि तोते को बंद किया ...

ममता की रैली में कुछ शब्दों के "सन्नाटे का शोर" बहुत कुछ कह गया !

ममता की रैली में नेताओ के भाषण के शब्दों को खंगाला. सारांश यह निकला कि वे प्रधानमंत्री मोदी से बेहद क्षुब्द है. कहा कि मोदी ने लालू प्रसाद यादव को नहीं छोड़ा, अखिलेश यादव को नहीं छोड़ा, मायावती और मुझे भी नहीं छोड़ा, और पूछा कि फिर आप सब को क्यों छोड़ेंगे? आरोप लगाया कि नौकरियां हैं नहीं, पर आरक्षण दे रहे हैं. नोटबंदी और GST की आलोचना की. संविधान बचाने और सेक्यूलर उसूलों को जिंदा रखने की बात की. विपक्ष से एकजुट होकर मोदी सरकार को सत्ता से बाहर करने की अपील की. रोना रोया कि मोदी सरकार ने किसान, गरीब, मजदूरों और दलितों को परेशान किया है. आरोप लगाया कि CBI की इज्जत को तार-तार कर दिया. *लेकिन कुछ शब्दों और मुद्दों को सुनने के लिए कान तरस गए.*👇👇👇 ● पहला प्रमुख शब्द है - *आतंकवाद.* किसी भी विपक्ष के नेता ने यह रोना नहीं रोया कि भारत में लोग आतंकी हमले में मर रहे है, भारतीय अपने-आप को असुरक्षित समझ रहे है. ● दूसरा मुद्दा *विकास* के बारे में है. किसी भी नेता ने यह दांवा नहीं किया कि मोदी सरकार के समय भारत की विकास दर कमजोर है तथा वे सत्ता में आकर भारत की विकास दर को बढ़ा देंगे. ●...

क्या राहुल गांधी और कांग्रेस मेरे कुछ प्रश्नो का जवाब देंगे* ..,? !

*राहुल गांधी* ! चिल्ला रहा है। और चिल्ला रही है *कांग्रेस* !!  कि राफ़ेल जेट जहाज़ बनाने के लिए सरकारी सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी ""हिंदुस्तान एयरोनेटिक लिमिटेड"" (HAL) के होते हुए अनिल अम्बानी की कम्पनी ""रिलायंस नवल"" को ठेका क्यूं दिया गया ?  *इसका मतलब ये है कि मोदी ने अनिल अम्बानी से रिश्वत ली !* *बहुत अच्छा। लेकिन क्या राहुल गांधी और कांग्रेस मेरे कुछ प्रश्नो का जवाब देंगे* ..,? क्या राहुल गांधी बताएगा देश में हिंदुस्तान पेट्रोलियम, इंडीयन आयल कॉर्परेशन, ONGC  और भारत पेट्रोलियम जैसी बेहतरीन पेट्रोलियम कंपनियो के होते हुए रिलायंस, एस्सार ल, विडियोकॉन  जैसी सैकड़ो कम्पनियों को रिफ़ायनरी लगाकर और तेल और गैस उत्खनन के खरबो रूपये के ठेके देकर देश को लूटने की इजाज़त कांग्रेस ने कैसे दे दी ? *जवाब दो राहुल गांधी.*...... स्कूटर इंडिया जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी होते हुए भी बजाज, होंडा और कावासाकी जैसी तमाम कम्पनियों को इजाज़त क्यूँ दी गयी ? BHEL जैसी नवरत्न कम्पनियों के होते हुए भी तुम्हारी सरकारों ने L&T जैसी कम्पनियों को खर...

हाल ही में इंडिया टुडे ग्रुप ने एक सर्वे करवाया था जिसके आधार पर देश के सबसे ईमानदार नेताओं की लिस्‍ट जारी की गई है।

तो चलिए जानते हैं कि जनता के हिसाब से राजनीति की गंदी कीचड़ में सबसे ईमानदार नेता कौन है। 1)  देश के सबसे ईमानदार नेताओं में मोदी जी का सबसे ज्‍यादा वोट मिले हैं। अगस्‍त 2014 के मुकाबले मोदी जी को 5 पर्सेंट वोट कम मिले हैं। उस समय मोदी जी को 36 पर्सेट लोगों ने ईमानदार बताया था कि जबकि इस साल ये संख्‍या 5 पर्सेंट घटकर 31 प्रतिशत रह गई है। देश की जनता के हिसाब से मोदी जी सबसे ज्‍यादा ईमानदार नेता हैं। 2) ईमानदार नेताओं की लिस्‍ट में अरविंद केजरीवाल का नाम देखकर आपको हैरानी तो नहीं हो रही होगी। भले ही सत्ता में आने के बाद अरविंद केजरीवाल कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए हों लेकिन कम से कम उन्‍होंने दिल्‍ली की कुर्सी पर बैठकर पूर्व मुख्‍यमंत्रियों की तरह घोटाले तो नहीं किए हैं। वो मुख्‍यमंत्री बनने के पहले दिन से लेकर अब तक पूरी ईमानदारी के साथ देश और दिल्‍ली की सेवा कर रहे हैं। अरविंद केजरीवाल को इस सर्वे में लगभग 18 प्रतिशत लोगों ने ईमानदार बताया है। 3)भले ही राहुल गांधी कभी पीएम या सीएम की कुर्सी पर ना बैठे हों लेकिन वो राजनीति में हमेशा से सक्रिय रहे हैं। वर्तमान समय में...

सुब्रमण्यम_स्वामी भी तो यही कहते हैं कि मोदी के दुश्मन उनकी सरकार में ही बैठे हैं।

                            बेहतरीन विश्लेषण। मोदी को न चाहने वाले तो भाजपा में 2014 से पहले से ही थे। #सुषमा_ताई ने 2013 में ये खुद कहा था कि मोदी को इतनी जल्दी पीएम घोषित नहीं करना चाहिये। हमें ये भी याद है कि कैसे उस समय समीकरण बन रहे थे कि यदि 150-200 सीटें आयीं तो कौन पीएम बनेगा, 200-250 आयी तो कौन बनेगा। उस पर कमाल ये था कि इतनी सीटें भी ये मोदी के नाम पर ही लाना चाहते थे और फिर मोदी को चाय में पड़ी मक्खी की तरह निकाल देना था कि तुम तो साम्प्रदायिक हो, तुम्हारे नाम पर कोई गठबंधन नहीं करेगा। लेकिन जब अपेक्षा से भी अधिक पूर्ण बहुमत आ गया तो सब के सब सहम गये। मोदीजी को प्रधानमंत्री बनाना सबकी मजबूरी हो गयी। पासवान की तरह 【सरकार किसी की बने, केबिनेट मंत्री वो बनते ही बनते थे】 ही बांकी सबने सोचा कि गठबंधन कर लो, कुछ तो मिलेगा सत्ता में तो रहेंगे। लेकिन झटका लगना तब शुरू हुआ जब मोदी ने कहा दिया कि #ना_खाऊंगा और #ना_खाने_दूंगा। जो लोग मलाई चाटने की वजह से सरकार बनने से खुश थे उनके दिल टूट गये। इस...