भीड़ उन्हीं बातों के लिए मुझे गालियां दे रही है, जिन बातों के लिए उसे मुझे धन्यवाद देना चाहिए। मगर, उनकी तकलीफ भी मेरी समझ में आती है। उनकी मान्यताओं के विपरीत हैं वे बातें। और उनकी मान्यताएं टूटें, तो ही उनके जीवन में थोड़ा प्रकाश आए। मैं भी मजबूर हूं। मैं उनकी मान्यता तोड़ने में लगा ही रहूंगा। वे गालियां देते रहें, मैं उनकी जंजीरें काटता रहूंगा। और निश्चित ही, जिसके पैरों में जंजीरें बहुत दिन तक रही हों, तुम उसकी अचानक जंजीर काटने लगो, वह नाराज होगा! मैंने सुना है, एक पहाड़ी सराय में एक कवि मेहमान हुआ। उस सराय में द्वार पर ही लटका एक तोता था। उस तोते की एक ही रटंत थी: स्वतंत्रता! स्वतंत्रता! स्वतंत्रता! उस सराय का मालिक स्वतंत्रता के आंदोलन में सिपाही रह चुका था और उसने अपने तोते को भी स्वतंत्रता का पाठ सिखा दिया था। उस सराय का मालिक स्वतंत्रता के आंदोलन में जेलघरों में रहा था, कारागृहों में रहा था। कारागृह में उसके भीतर एक ही आवाज उठती थी प्राणों में: स्वतंत्रता! स्वतंत्रता! स्वतंत्रता! उसने अपने तोते को भी यह सिखा दिया था। यह बड़े मजे की बात है। हालांकि तोते को बंद किया ...
EXPOSING CORRUPTION News