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आईपीसी IPC की 21 क्या है ? और इसमें क्या प्रावधान मिलते हैं ?

आईपीसी की धारा 21 भी एक ऐसे शब्द को परिभाषित करती है, जिसकी सीधा संबंध शासन,प्रशासन,न्याय, रक्षा आदि से है. आइए जानते हैं कि आईपीसी IPC  की 21 क्या है  ? और इसमें क्या प्रावधान मिलते हैं ? हर व्यक्ति, जो,  (क) सरकार की सेवा या वेतन में हो, या किसी लोक-कर्त्तव्य के पालन के लिए सरकार से फीस या कमीशन के रूप में पारिश्रमिक पाता हो।  (ख) स्थानीय प्राधिकारी की, अथवा केन्द्र, प्रान्त या राज्य के अधिनियम के द्वारा या अधीन स्थापित निगम की अथवा कम्पनी अधिनियम, 1956 (1) की धारा 617 में यथा परिभाषित सरकारी कम्पनी की, सेवा या वेतन में हो।

IPC Section 503,506, क्या FIR हो सकता है !!

अगर कोई व्यक्ति निम्न उद्देश्य से धमकियां देता है ! 1. किसी भी महिला/पुरूष को शारिरिक नुकसान, मानसिक (क्षति) पहुंचाने के लिए। 2. किसी भी व्यक्ति की प्रसिद्धि, प्रतिष्ठा, यश, साख, शोहरत, को नुकसान (क्षति) पहुंचाने के लिए। 3. किसी भी व्यक्ति की चल-अचल संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए। 4. कोई ऐसे काम करने की धमकी देना जो विधि के विरुद्ध हो। 5.किसी भी महिला/पुरूष को गालियाँ देना एवं अपशब्द बोलना एवं मारने की धमकियां देना आदि। किस धारा के तहत मामला दर्ज होगा, कितनी सजा होगी !! उपरोक्त अपराधों के लिए भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 503 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 503 के अपराध के दंड का प्रावधान धारा 506 में है। इस तरह के अपराध के दण्ड को दो भागों में विभाजित किया गया है। 1. सामान्य धमकी के लिए दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जायेगा। 2. यदि धमकी मृत्यु (जान से मारने) या ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाली है तब सात वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जाएगा।  असंज्ञेय अपराध में एवं जमानतीय होता हैं !! ...

Indian Penal Code IPC !! भारतीय दंड संहिता !!

PC का मतलब होता है –  Indian Penal Code  हिंदी में इसका मतलब होता है भारतीय दंड संहिता इसकी स्थापना सन 1860 में अध्यक्ष  लार्ड मेकाले  द्वारा की गई। इंडियन पेनल कोड का मुख्य उद्देश्य भारत में कानून का पालन न करने वालो और अपराधियों के लिए अपराधों की परिभाषा व दण्ड का प्रावधान बनाना तथा उसे लागू करना है। जिसके कारण अपराधियों को दंड दिया जा सके और सभी मानवीय हितो की रक्षा करते हुए समाज को शुरक्षित रखा जा सके।  भारतीय दण्ड संहिता  (Indian Penal Code) में कुल  511 धाराए  है जो जम्मू और काश्मीर को छोडकर पुरे भारत में लागू होती है। लेकिन यह Code भारतीय सेना पर लागू नहीं होती है और जम्मू और कश्मीर पर भी IPC लागू होती है।

IPC Section 43

                          धारा 43 का विवरण भारतीय दंड संहिता की धारा 43 के अनुसार, अवैध शब्द हर उस बात को लागू है, जो अपराध हो, या जो विधि द्वारा प्रतिषिद्ध हो, या जो सिविल कार्यवाही के लिए आधार उत्पन्न करती हो ; और करने के लिए वैध रूप से आबद्ध—कोई व्यक्ति उस बात को करने के लिए वैध रूप से आबद्ध कहा जाता है जिसका लोप करना उसके लिए अवैध है ।

IPC Section 100

भारतीय दंड संहिता की धारा 100 के अनुसार, शरीर की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार, पूर्ववर्ती धारा में वर्णित बंधनों के अधीन रहते हुए, हमलावर की स्वेच्छा पूर्वक मॄत्यु कारित करने या कोई अन्य क्षति कारित करने तक है, यदि वह अपराध, जिसके कारण उस अधिकार के प्रयोग का अवसर आता है, एतस्मिनपश्चात निम्न प्रगणित भांतियों में से किसी भी भांति का है, अर्थात्: - ऐसा हमला जिससे यथोचित रूप से यह आशंका कारित हो कि अन्यथा ऐसे हमले का परिणाम मॄत्यु होगा। ऐसा हमला जिससे यथोचित रूप से आशंका कारित हो कि अन्यथा ऐसे हमले का परिणाम घोर क्षति होगा; बलात्संग करने के आशय से किया गया हमला; प्रकॄति-विरुद्ध काम-तॄष्णा की तॄप्ति के आशय से किया गया हमला; व्यपहरण या अपहरण करने के आशय से किया गया हमला; इस आशय से किया गया हमला कि किसी व्यक्ति का ऐसी परिस्थितियों में अनुचित रूप से प्रतिबंधित किया जाए, जिनसे उसे यथोचित रूप से यह आशंका कारित हो कि वह अपने को छुड़वाने के लिए लोक प्राधिकारियों की सहायता प्राप्त नहीं कर सकेगा; तेजाब फेकने का कार्य या प्रयास करना जिससे यथोचित रूप से आशंका कारित...

Income Tax Act, 1961 Section 2 .

(1) "अग्रिम कर" का अर्थ अध्याय XVII-C के प्रावधानों के अनुसार देय अग्रिम कर है; 1 ए) 1 "कृषि आय" 2 का मतलब है- (ए) भारत में स्थित है और कृषि उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है जो भूमि से प्राप्त किसी भी किराए या राजस्व; (ख) ऐसी भूमि से प्राप्त आय (i) कृषि; या (ii) किसी कृषक द्वारा किसी कृषक द्वारा नियोजित किसी भी प्रक्रिया के रेंट-इन-रेंट के रिसीवर या रेंट-इन-राईस के रिसीवर द्वारा प्रस्तुत की गई उपज को प्रस्तुत करने के लिए या उसके द्वारा बाजार में ले जाने के लिए उपयुक्त; या (iii) उसके द्वारा उपार्जित या प्राप्त की गई उपज के किराए के प्रकार के एक कृषक या रिसीवर द्वारा बिक्री, जिसके संबंध में इस उप के पैरा (ii) में वर्णित प्रकृति की एक प्रक्रिया के अलावा कोई प्रक्रिया नहीं की गई है।  clause; (ग) ऐसी किसी भी भूमि के स्वामित्व या कब्जे वाली किसी भी इमारत से प्राप्त आय, जो किसी भी भूमि के किराए या राजस्व के कब्जे में हो, या कृषक या किराए के रिसीवर द्वारा कब्जा की गई हो, जिसके संबंध में, या किसी भी भूमि का किराया उपज, उप-खंड (ख) के पैराग्राफ (ii) और (iii) म...

घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005 # कलम 4

घरेलू हिंसा किया जा चुका हो या किया जाने वाला है या किया जा रहा है , की सूचना कोई भी व्यक्ति संरक्षण अधिकरी को दे सकता है जिसके लिए सूचना देने वाले पर किसी प्रकार की जिम्मेदारी नहीं तय की जाएगी। पीड़ित के रूप में आप इस कानून के तहत 'संरक्षण अधिकारी' या 'सेवा प्रदाता' से संपर्क कर सकती हैं। पीड़ित के लिए एक ‘संरक्षण अधिकारी’ संपर्क का पहला बिंदु है।संरक्षण अधिकारी मजिस्ट्रेट के समक्ष कार्यवाही शुरू करने और एक सुरक्षित आश्रय या चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने में मदद कर सकते हैं।प्रत्येक राज्य सरकार अपने राज्य में ‘संरक्षण अधिकारी’ नियुक्त करती हैl ‘सेवा प्रदाता’ एक ऐसा संगठन है जो महिलाओं की सहायता करने के लिए काम करता है और इस कानून के तहत पंजीकृत है lपीड़ित सेवा प्रदाता से, उसकी शिकायत दर्ज कराने अथवा चिकित्सा सहायता प्राप्त कराने अथवा रहने के लिए एक सुरक्षित स्थान प्राप्त कराने हेतु संपर्क कर सकती हैlभारत में सभी पंजीकृत सुरक्षा अधिकारियों और सेवा प्रदाताओं का एक डेटाबेस यहाँ उपलब्धहै।सीधे पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट से भी संपर्क किया जा सकता हैl आप मजिस्ट्रेट - फर्स्...

IPC 336, Act endangering life or personal safety of others !

         Act endangering life or personal safety of others Description Whoever does any act so rashly or negligently as to endanger human life or the personal safety others, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to three months or with fine which may extend to two hundred and fifty rupees, or with both. Classification u/schedule 1 CrPC Offence Punishment Doing any act which endangers human life or the personal safety of others 3 Months or Fine or Both Cognizance Bail Triable By Cognizable Bailable Any Magistrate Composition u/s 320 CrPC Offence is NOT listed under Compoundable Offences