फुरकान का अर्थ है सत्य और असत्य को अलग-अलग करने वाला। कुरआन के विभिन्न नामों में से एक नाम फुरकान भी है। जैसा कि स्वयं कुरआन ही में आया है- “बड़ी बरकत वाला है वह (अल्लाह) जिसने अपने बन्दे (मुहम्मद ﷺ) पर फुरकान उतारा, ताकि वह सारे संसार के लिए सचेत करने वाला बन जाए।” (क़ुरआन-25:1) क़ुरआन की पच्चीसवीं सूरह का नाम भी ‘फुरकान’ है। जो मक्का में उतरी और उसमें कुल 77 आयतें हैं। कुरआन के विभिन्न गुणों में से एक गुण फुरकान भी है- “रमजान का महीना वह है, जिसमें क़ुरआन उतारा गया, जो लोगों के लिए मार्गदर्शन है, तथा प्रत्यक्ष प्रमाण है और सत्य-असत्य को स्पष्ट करता है।” (क़ुरआन-2:185) इसी अर्थ में क़ुरआन की यह आयत भी है- “याद करो जब हमने मूसा को किताब और फुरकान दिया, ताकि तुम सत्य मार्ग-ग्रहण कर सको।” (क़ुरआन-2:53) यहाँ फुरकान का अर्थ है वह कसौटी जिसके द्वारा मनुष्य जीवन के प्रत्येक मार्ग पर यह जान सके कि कौन-सा मार्ग सत्य है और कौन-सा असत्य, किसको ग्रहण करना चाहिए और किस से बचना चाहिए? कौनसा मार्ग अल्लाह की ओर ले जाता है और कौनसा मार्ग शैतान की ओर? अर्थात यह वह समझ-बूझ है जो अल्लाह अपने व...
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