राजनीतिक में अक्सर नेतागण अपने विचारों से " अटल " नहीं रहते है !लेकिन " अटल जी " हमेशा से अपने विचारों से " अटल " रहे है।

बेनकाब चेहरे हैं,
दाग बड़े गहरे हैं,
टूटता तिलस्म, आज सच से भय खाता हूँ ।
गीत नही गाता हूँ । 
लगी कुछ ऐसी नज़र,
बिखरा शीशे सा शहर,
अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूँ । 
गीत नहीं गाता हूँ ।
पीठ मे छुरी सा चाँद,
राहु गया रेखा फाँद,
मुक्ति के क्षणों में बार-बार बँध जाता हूँ ।
गीत नहीं गाता हूँ ।
 अटल बिहारी वाजपेयी

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