अदालतों को सावधान रहना चाहिए कि शादी की आड़ में आरोपी द्वारा अपराधों से बचने के लिए पीड़िता का इस्तेमाल ढाल के रूप में न किया जाएः इलाहाबाद हाईकोर्ट !!
अदालतों को सावधान रहना चाहिए कि शादी की आड़ में आरोपी द्वारा अपराधों से बचने के लिए पीड़िता का इस्तेमाल ढाल के रूप में न किया जाएः इलाहाबाद हाईकोर्ट !!
न्यायमूर्ति सूर्य प्रकाश केसरवानी और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने यह टिप्पणी उस मामले की सुनवाई के दौरान की,जिसमें याचिकाकर्ताओं ने पहले एक लड़की/ पीड़ित का अपहरण किया और उसके बाद जबरदस्ती और धमकी के तहत, उसके साथ विवाह किया और उसके बाद हाईकोर्ट से संरक्षण भी प्राप्त किया।
इस तरह कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया गया। संक्षेप में मामला याचिकाकर्ताओं ने सीआरपीसी की धारा 482 के तहत आवेदन दायर कर उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 366, 376-डी, 323, 342 और एसी/एसटी एक्ट की धारा 3 (2) (वी) के तहत दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की थी। दिनांक 16.06.2021 को इस मामले में लड़की के अपहरण और बलात्कार के आरोप में यह प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
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