14 मई 1939 को भावनगर में सरदार पटेल के ऊपर जानलेवा हमला और उनकी हत्या की कोशिश किसने की थी और कितने अपराधियों को फांसी और आजीवन कारावास की सजा अदालत ने सुनाई थी।
हमें यह तो किताबों में पढ़ाया गया कि महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे ने की थी,लेकिन यह कभी नहीं पढ़ाया गया कि 14 मई 1939 को भावनगर में सरदार पटेल के ऊपर जानलेवा हमला और उनकी हत्या की कोशिश किसने की थी और कितने अपराधियों को फांसी और आजीवन कारावास की सजा अदालत ने सुनाई थी।
57 आरोपी पकड़े गए,जिसमें से आजाद अली,रुस्तम अली सिपाही को सजा ए मौत यानी फांसी दी गई,और कासम डोसा घांची, लतीफ मियां काजी,मोहम्मद करीम सिपाई, सय्यद हुसैन, चांद गुलाब सिपाई,हाशम सुमरा संधि,लोहार मूसा अब्दुल्ला,अली मियां अहमद मियां सैयद,अली मामद सुलेमान,मोहम्मद सुलेमान कुंभार,अबू बकर अब्दुल्ला,लोहार अहमदिया,मोहम्मद मियां काजी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
14 मई और 15 मई 1939 को भावनगर में सरदार वल्लभभाई पटेल की अध्यक्षता में भावनगर राज्य प्रजा परिषद का पांचवा अधिवेशन होने वाला था।
सरदार वल्लभभाई पटेल भावनगर आए और रेलवे स्टेशन से खुली जीप में उनकी भव्य शोभा यात्रा निकली।
सरदार पटेल खुली जीप में बैठकर सड़क के दोनों तरफ खड़े लोगों का अभिवादन स्वीकार कर रहे थे।
जब यह यात्रा खार गेट चौक पहुंची तब वहां नगीना मस्जिद में छुपे हुए 57 शांति प्रिय लोग तलवार छुरी और भाला लेकर जीप की तरफ दौड़कर आए।
दो नवयुवक बच्चू भाई पटेल और जाधव भाई मोदी की नजर उन पर पड़ी, वे सरदार पटेल को चारों तरफ से पकड़ कर खड़े हो गए और एक ढाल की तरह पूरा जानलेवा हमला खुद पर झेल लिया।
सरदार पटेल का सुरक्षा कवच बन गए। हमलावरों ने तलवार के कई वार उन दोनों युवाओं पर किये,जिसमें बच्चू भाई पटेल तो घटनास्थल पर ही वीरगति को प्राप्त हो गए जबकि जाधव भाई मोदी अस्पताल में वीरगति को प्राप्त हुए।
जहां पर वे दोनों वीर नवयुवक वीरगति को प्राप्त हुए थे, वहां पर उनकी मूर्तियां भी लगी हुई हैं। इस घटना में तब की अंग्रेज सरकार ने बहुत अच्छे तरीके से जांच कराई और एक विशेष कोर्ट बनाई।
इन्होंने अदालत में कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने कोलकाता में मुस्लिम लीग के खिलाफ भाषण दिया था। उसी से उनकी हत्या की साजिश रची गई थी।
अफसोस की बात यह है कि इतिहास की यह घटना नेहरू सरकार ने पटेल जी की मृत्यु के बाद किताबों से हटा ली ताकि भविष्य में यह कोई जान न सके कि सरदार पटेल के ऊपर जानलेवा हमला और उनकी हत्या की साजिश कभी शांतिप्रियों ने रची थी ।
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