____गणपति वंदना____
सिद्धिविनायक सिद्धि प्रदाता ।
भक्तों के तुम हो सुखदाता ।।
अष्टविनायक हे गणनायक ।
मंगल मूर्ति हे महानायक ।।
मेरे सर पर रख दो हाथ ।
गणपति बप्पा सिद्धि विनायक ।।
रत्नजड़ित मुकुट में शोभित।
भक्तों को कर देते मोहित।।
हे सुखकर्ता हे दुखहर्ता ।
लंबोदर है मंगल दाता।।
भक्त जनों की रखियो लाज।
मेरा तू करियो कल्याण ।
लंबोदर एकदंत गणेश।
भक्तों के तू हरे क्लेश।।
ओम गजानन तेरी करूं मैं जय-जय कर।
करूं तेरी भक्ति तू सुन ले मेरी पुकार।।
वक्रतुंड पीतांबर त्रिनयना।
मैं शरणागत आई तेरी शरणा।।
कोटि सूर्य प्रकाश से मेरी रक्षा करियो।
मेरे जीवन के तम को तुम हरियो।।
गौरी सुत हे विघ्न विनाशक।
अष्ट सिद्धि हे मंगल दायक।।
मनोकामना पूर्ति करो हमारी।
हे गणपति तू ही है भयहारि ।।
भाव भगति से शरणागत आऊं।
मैं सरिता तेरे गुड़गांऊं ।।
जग की चिंता हरने वाले,
मन को पावन करने वाले।
तू कुछ ऐसा ज्ञान भरो,
मेरा तुम उद्धार करो।।
पथ मेरा आसन करो।
मेरा तुम कल्याण करो।।
मेरे बिगड़े काम बना दो।
मेरी किस्मत को चमका दो।।
पति बच्चों की रक्षा करना।
मेरे हृदय में सदा तू बसना।
तेरी महिमा है अपार।
जानत है सारा संसार।।
सुरप्रियाय गजबंदनाय।
भक्तों के तुम सदा सहाय।।
स्वरचित
डॉ सरिता चौहान
पीएम श्री एडी राजकीय कन्या इंटर कॉलेज गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।।
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