youtuber रामेश कुमार और उसकी पत्नी पूजा की कहानी क़ो हम जनता तक इसीलिए लाना चाहते की इन दोनों की जीवन के संघर्ष की कहानी पढ़ कर आप भी अपने जीवन मे कभी दुखी नहीं होंगे, क्यों की ईश्वर सब की सुनता है लेकिन थोड़ी देर से सुनता है।
आज मुंबई क्राइम पेज़ न्यूज़ ने एक ऐसे तों संघर्ष से सफलता तक, मेरी जीवन यात्रा" करने वाले youtuber रामेश कुमार और उसकी पत्नी पूजा की कहानी क़ो हम जनता तक इसीलिए लाना चाहते की इन दोनों की जीवन के संघर्ष की कहानी पढ़ कर आप भी अपने जीवन मे कभी दुखी नहीं होंगे, क्यों की ईश्वर सब की सुनता है लेकिन थोड़ी देर से सुनता है।
आगे खुद रामेश जी से हीं सुनें उनकी जीववन की सच्ची कहानी।
आभार
संपादक
विनोद चव्हाण
7977194366
"संघर्ष से सफलता तक – मेरी जीवन यात्रा"
मेरा नाम रामेश कुमार है, और मेरी जीवनसंगिनी का नाम पूजा है। हमारी मुलाकात वर्ष 2018 में हुई थी। पहली ही मुलाकात में हम दोनों एक-दूसरे को दिल दे बैठे। लेकिन दुर्भाग्यवश हमारे परिवार इस रिश्ते के खिलाफ थे। हमने समाज और रिश्तेदारों की परवाह किए बिना, वर्ष 2019 में घर से भागकर कोर्ट मैरिज कर ली।
शादी के बाद हमारे पास न तो घर था, न पैसा, और न कोई सहारा। मैंने केवल ₹1500 प्रति माह में एक छोटा-सा कमरा किराए पर लिया। जीविका के लिए मैंने एक सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की। हालांकि मुझे मोबाइल और लैपटॉप रिपेयरिंग पहले से आती थी, तो अपनी पहली सैलरी से कुछ आवश्यक उपकरण खरीदे और पत्नी के साथ मिलकर उसी छोटे से कमरे में मोहल्ले वालों के मोबाइल और लैपटॉप रिपेयर करने लगे।
धीरे-धीरे मोहल्ले वालों का विश्वास मिला, उन्होंने एक टूटी-फूटी टेबल दे दी, जिससे हमने घर से ही काम शुरू किया। दो-तीन महीनों में पैसे जोड़कर मार्केट में एक छोटी-सी दुकान ले ली और वहां से अपना व्यवसाय शुरू किया — मोबाइल, लैपटॉप की मरम्मत और बिक्री दोनों करने लगे।
सब कुछ ठीक चल रहा था। नवंबर 2021 में जब पत्नी ने बताया कि वह गर्भवती हैं, तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दिसंबर में मैंने उनके लिए एक चार पहिया वाहन – महिंद्रा की KUV100 खरीदी।
पर किस्मत को कुछ और मंज़ूर था।
जून 2022 में पत्नी की तबीयत अचानक बहुत खराब हो गई। शरीर में केवल 4 प्वाइंट ब्लड बचा था, पेट में बच्चा भी था। इलाज में हमारी सारी जमा पूंजी चली गई। कार बिक गई, दुकान भी बेचनी पड़ी। 1 जुलाई 2022 को मेरे बेटे का जन्म हुआ। डिलीवरी के लिए मुझे उधार लेना पड़ा। सारे रिश्तेदारों ने मुंह मोड़ लिया। कर्ज़दारों ने जीना दूभर कर दिया।
हमारी हालत इतनी खराब हो गई कि तीन-तीन दिन तक खाने को नहीं होता था। कभी किसी भंडारे से, कभी किसी से मांगकर खाना लाते और पेट भरते। दस रुपये भी नहीं होते थे कि टमाटर लेकर चटनी बना लें। बेटे को बुखार होता तो दवा के पैसे नहीं होते — हम पूरी रात जागकर उसके माथे पर ठंडी पट्टी रखते।
मकान मालिक ने भी किराया माफ किया, वरना सर पर छत भी नहीं बचती।
फिर एक दिन मुझे यूट्यूब के ज़रिए पैसे कमाने का तरीका पता चला। लेकिन हमारे पास अच्छा फोन तक नहीं था। तब हमारे एक दूर के भाई, वीरेंद्र मौर्य जी ने हमें एक नया स्मार्टफोन दिलाया। आज वो हमारे लिए भगवान से भी बढ़कर हैं। शायद उनकी मदद नहीं मिलती, तो हम आज ज़िंदा नहीं होते।
हमने वीडियो बनाना शुरू किया, पर दो महीने तक कोई सफलता नहीं मिली। लोग हँसते थे, ताने मारते थे। फिर मैंने 'एडल्ट कॉमेडी' वीडियो बनाना शुरू किया, और केवल तीन दिनों में हमारा चैनल मोनेटाइज हो गया। लोगों ने गालियाँ दी, रिश्तेदारों ने ताने मारे, लेकिन मैंने ठान लिया था — अब पीछे नहीं हटना।
जब बुरे वक्त में किसी ने हाथ नहीं बढ़ाया, तो अब मैं किसी की परवाह क्यों करूँ?
आज उसी हिम्मत और मेहनत का नतीजा है कि कानपुर नगर जैसे शहर में मेरा खुद का मकान है, और एक XUV700 कार है। हम अपनी जिंदगी में बहुत खुश हैं। यह सब संभव हुआ मेरी पत्नी पूजा के साथ और मेरे बेटे की मुस्कान के लिए।
अगर आप आज टूटे हुए हैं, तो टूटने मत दीजिए खुद को — क्योंकि आप ही हैं अपने जीवन की सबसे बड़ी ताकत।
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