💞 ____चिलमन____💞
जिसका दीदार करने के लिए कोई आतूर ना हो
ऐसी सूरत को चिलमन की क्या जरूरत
जो खुद से ही खफा खफा रहता हो
ऐसे बेमरउवत को मोहब्बत की क्या जरूरत
बिना किसी खता के ही सितम ढाए जा रहे हो।
किस तरह देखूं मैं तुझे चिलमन की ओट से
जब तुम मुंह मोड़ के फासले पर फासला किया जा रहे हो।
माना कि तुम्हें मेरी जरूरत नहीं
तुम्हारे पास लाखों हैं
पर हमें तो तुम्हारी जरूरत है
तू पूरी दुनिया में मेरे लिए एक ही है
इतना दूर न जाओ कि मेरे हृदय के तार टूट कर बिखर जाए
तुझे ढूंढते ही ढूंढते
मेरा दम तक निकल जाए
सितम इतना न कर
कि जितना तूने दुश्मनों पर भी ना किया
दोस्ती का कुछ तो लिहाजा रख
नहीं तो दोस्ती बदनाम हो जाएगी
फिर यह दुनिया किस काम की रह जाएगी।
दोस्ती प्यार और विश्वास
यही तो मूल जड़ है जिस पर दुनिया की इमारत खड़ी है।
इस इमारत को इबादत दे नफरत नहीं
प्यार दे गलतफहमी नहीं।
कि मैं यूं ही तेरे दिल में समा कर
तुझे चिलमन की ओट से देखती रहूं।।
डॉ सरिता चौहान
गोरखपुर ,उत्तर प्रदेश
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